ब्रेस्ट कैंसर क्या है?
ब्रेस्ट कैंसर, कैंसर का एक प्रकार है जो स्तन से शुरू होता है, जिसमें स्तन की कोशिकाएँ (सेल) नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। ब्रेस्ट कैंसर के बारे में एक मिथक यह है कि यह केवल महिलाओं में होता है, जबकि यह बीमारी पुरुषों को भी हो सकती है। हाँ, लेकिन सच है कि इसके ज़्यादातर मामले महिलाओं में पाए जाते हैं। चूँकि अक्टूबर का महीना 'ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ' यानी ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सम्पर्पित है, इसलिए इस ब्लॉग में आज हम ब्रेस्ट कैंसर के ऊपर चर्चा करेंगे, इसके प्रकार और इसके लक्षण एवं उपचार के ऊपर प्रकाश डालेंगे। इसके अलावा, ब्रेस्ट कैंसर मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है, इस पर भी चर्चा करेंगे।
ब्रेस्ट कैंसर विभिन्न प्रकार का होता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि स्तन की कौन सी कोशिकाएँ कैंसरग्रस्त हो चुकी हैं क्योंकि एक स्तन तीन मुख्य भागों से बना होता है: लोब्यूल, डक्ट और कनेक्टिव टिश्यू।
ब्रेस्ट कैंसर के प्रकार
ब्रेस्ट कैंसर मुख्यतः दो सामान्य प्रकार का होता है:
- इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा: इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा, महिलाओं में 80 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर का कारण होता है। ब्रेस्ट कैंसर का यह प्रकार मिल्क डक्ट में विक्षित होता है और डक्ट वॉल से होते हुए ब्रेस्ट के चर्बी वाले हिस्से तक फैल जाता है।
- इनवेसिव लोब्यूलर कार्सिनोमा: इनवेसिव लोब्यूलर कार्सिनोमा में, कैंसर कोशिकाएँ लोब्यूल्स से शुरू होती हुई इसके आसपास के टिश्यू तक फैल जाती हैं। इन कैंसर कोशिकाओं की एक विशेषता यह है कि ये कोशिकाएँ शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के कई अन्य कम सामान्य प्रकार भी होते हैं जैसे स्तन में पेजेट रोग, एंजियोसारकोमा, फाइलोड्स ट्यूमर और इंफ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर आदि।
ब्रेस्ट कैंसर के चिंताजनक आँकड़े: जागरूकता की ज़रूरत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार साल 2020 में दुनियाभर में 23 लाख से ज़्यादा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का निदान हुआ था, जिनमें से करीब 6,85,000 महिलाओं की मौत हुई थी। वहीं ग्लोबोकैन के आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 में भारत में कुल मिलाकर 1,78,361 मामले सामने आए थे, जिनमें से 90,408 लोगों ने अपनी जान गवाई थी। चिंता की बात यह है कि ब्रेस्ट कैंसर अब दुनिया में, लंग कैंसर को पछाड़ कर सबसे ज़्यादा होने वाला कैंसर का प्रकार बन चुका है, जो सभी कैंसर मामलों का 11.7 प्रतिशत है।
वैसे तो हमें साल के 365 दिन ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरूकता फ़ैलाने की ज़रूरत है, लेकिन अक्टूबर का पूरा महीना ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस के लिए समर्पित किया गया है, जिससे यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह कितनी गंभीर समस्या है। जागरूक रह कर और सही समय पर सही कदम उठाकर ब्रेस्ट कैंसर का उपचार किया जा सकता है, जान बचाई जा सकती है जिसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत आज भारत को है क्योंकि हमारे देश में ब्रेस्ट कैंसर से बचने की दर केवल 66% है जबकि अमेरिका में यह 95% तक है।
मानसिक स्वास्थ्य पर ब्रेस्ट कैंसर का प्रभाव
ब्रेस्ट कैंसर न केवल व्यक्ति को शारीरिक रूप से प्रभावित करता है बल्कि यह व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है। किसी व्यक्ति में ब्रेस्ट कैंसर का निदान बहुत सारी नकारात्मक भावनाएं पैदा कर सकता है, जिसमें एंग्जायटी, स्ट्रेस, डर और अकेलेपन के साथ-साथ शारीरिक छवि संबंधी समस्याएं और डिप्रेशन जैसी गंभीर बीमारी शामिल हैं।
इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर, वित्तीय स्ट्रेस या पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस जैसी स्थितियों का भी कारण बन सकता है। ब्रेस्ट कैंसर न सिर्फ पीड़ित व्यक्ति को प्रभावित करता है, बल्कि उनकी देखभाल करने वालों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है, जैसे कि बर्नआउट, स्ट्रेस और डिप्रेशन आदि।
यहाँ तक कि कई मरीज़ों को तो इससे ठीक होने के बाद भी पुनरावृत्ति का डर होता है जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को जीवन भर तक प्रभावित कर सकता है।
ये सब समस्याएं ब्रेस्ट कैंसर को और भी ज़्यादा भयावह बना सकती है लेकिन अगर ब्रेस्ट कैंसर के उपचार के साथ-साथ पीड़ित के मानसिक स्वास्थ्य को भी ठीक तरीके से संभाला जाए तो यह ब्रेस्ट कैंसर के उपचार में एहम भूमिका निभा सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करने लिए कुछ निवारक उपाय इस प्रकार हैं:-
- स्वस्थ वज़न बनाए रखें
- शारीरिक रूप से सक्रिय रहें
- शराब न पीने या कम मात्रा में शराब पीने का चयन करें
- हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी या गर्भनिरोधक (जन्म नियंत्रण गोलियाँ) लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें
- अपने बच्चों को स्तनपान कराएं
- यदि आपके परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास है या आपके BRCA1 और BRCA2 जीन में वंशानुगत परिवर्तन हैं, तो अपने जोखिम को कम करने के अन्य तरीकों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें
निष्कर्ष
ब्रेस्ट कैंसर, दुनिया भर में सभी प्रकार के कैंसर में से सबसे ज़्यादा होने वाली बीमारी है जो चिंता की बात है। यह किसी व्यक्ति को शारीरिक रूप से प्रभावित करने के साथ-साथ उसके मानसिक स्वास्थ्य को भी ख़राब करता है। ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित लोगों में अक्सर मानसिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं जैसे डिप्रेशन, स्ट्रेस या एंग्जायटी विकसित हो जाती हैं, जो स्तिथि को और भी ज़्यादा भयावह बना सकती हैं, इसलिए मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने से ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने में मदद मिल सकती है। ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में कमी लाने या इसका उपचार करने के लिए इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना एक महत्वपूर्ण कदम है। एक स्वस्थ जीवनशैली, शीघ्र हस्तक्षेप, या निदान होने पर उचित उपचार, ब्रेस्ट कैंसर के प्रभाव को कम या ख़त्म कर सकता है।
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